शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

!! भोर !!

जीवन के दुखद क्षणों के बाद
सबको होता भोर का इंतज़ार
भोर जो जीवन में भरे रोशनी
भोर जो जीवन से कराए प्यार।

निराशाओं की रात के पीछे
आशा का सूरज छुपा होता है
थोड़ा धैर्य थोड़ी-सी प्रतीक्षा
समय से ही सूरज निकलता है।

कभी कभी रात के बाद भी
सुबह में बादल उसे घेर लेता
सूरज की रोशनियों को वो
हम तक पहुँचने नही है देता।

कितना भी घना हो बादल
सूरज की भनक पड़ ही जाती
बादल की कालिमा कभी भी
सूरज की रोशनी रोक न पाती।

काले बादलों के पीछे से
सूरज की रोशनी फूट रही है
वो काली-सी दीवार कैसे
धीरे-धीरे कर टूट रही है।




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